शंकर छंद (छत्तीसगढ़ी)
*विषय- गणतंत्र दिवस* (१) भारत के गणतंत्र दिवस हा, हरे बड़े तिहार। भारत माँ के कोरी-कोरी, करव जय-जयकार।। संविधान हा लागू होइस, इही दिन ले जान। अलग बनिस हे जग मा तब ले, देश के पहिचान।। (२) सन पचास मा बनिस हवय गा, देश हा गणतंत्र। जुरमिल सब ला अब रहना हे, मिलिस हावय मंत्र।। लोकतंत्र मा खास बनिस हे, सबो मनखे आम। तभे सुचारू रुप मा संगी, होत हे हर काम।। (३) स्वतंत्रता सेनानी मन ला, करव सुरता आज। जिनकर अब्बड़ मिहनत ले गा, मिले हवय स्वराज।। गांधी नेहरु वल्लभभाई, तिलक अउ टैगोर। स्वतंत्रता बर आंदोलन कर, नवा लानिस भोर।। (४) वीर भगत सिंह अशफाकुल्ला, राजगुरु आजाद। बिस्मिल अउ सुखदेव घलो ला, करव सबझन याद।। अमर क्रांतिकारी मन होगे, देश बर कुर्बान। अपन लहू ले सींच बनाइन, नवा हिन्दुस्तान। *श्लेष चन्द्राकर* *विषय - मोबाइल टॉवर* (१) मोबाइल के टॉवर सेती, सबो हे हलकान। येकर विकिरण अलकरहा हे, करत बड़ नुकसान।। जघा-जघा मा आज इखँर गा, बिछे हावय जाल। चिरई चुरगुन अउ मनखे के, बनत हे ये काल।। (२) टॉवर के सेती होवत हे, ब्रेन ट्यूमर रोग। घातक केंसर के पीरा ला, सहत हावय लोग।। होत दिमागी बी...