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Showing posts from March, 2020

चौपई छंद(छत्तीसगढ़)- श्लेष चन्द्राकर

*विषय- जनता कर्फ्यू* जनता कर्फ्यू बने बिचार। करना हम ला हे साकार।। जोखिम कोनो अब नइ लेन। रोग बाढ़हन अउ नइ देन।। घेरीबेरी धोवव हाथ। घूमव झन गा कखरो साथ।। मास्क लगाके बनव सुजान। साफ सफाई मा दव ध्यान।। जनता कर्फ्यू मा लव भाग। नइ चाबय कोरोना नाग।। हो जाही गा ओ बिखहीन। छोड़ भागही हमर जमीन।। घर मा राहव ये इतवार। बंद रही हटरी बाजार।। कोरोना कोविड उन्नीस। पर पड़ना हे हम ला बीस।। जनता मन ले हवय अपील। कर्फ्यू मा झन देहू ढील।। चौदह घंटा दव सहयोग। दुर्बल हो जाही ये रोग।। जागरूकता हरय बचाव। देवव सबला बने सुझाव।। जनता कर्फ्यू सफल बनाव। कोरोना के रोग भगाव।। *विषय-गौरैया* गौरैया चिड़िया हे जान। गाँव गली बखरी के शान।। येकर चूं-चूं सुग्घर बोल। कान म देथे मँदरस घोल।। गौरैया के रखव खियाल। आज हवय गा ओ बदहाल।। कमती होवत हावय आज। जेन करय अँगना मा राज।। गौरैया के प्रान बचाव। पहिली कस दिन बादर लाव।। गाँव गली मा फुदकय फेर। आ-आ के ओ कतको बेर।। अँगना मा आ चुगे अनाज। फेर करय चूं-चूं आवाज।। तिनका ला खोंधरा बनाय। जेमा ओ परिवार बसाय।। *विषय-सनमान* पइसा दे झन लव सनमान। गोठ सियानी मा दव

विष्णु पद छंद (छत्तीसगढ़ी) - श्लेष चन्द्राकर

*विषय - ध्वनि प्रदूषण* आनी-बानी के दिनभर सुनथन, अब्बड़ शोर कका। कर लव येला कमती करके, बूता लाख टका।। मोटर-गाड़ी मन के बजथे, हारन चौंक करा। शोर अबड़ ये अलकरहा सुन, जाथे कान भरा।। शादी अउ छट्ठी मा मनखे, बाजा घात बजा। अपन पड़ोसी मन ला देथे, फोकट कार सजा।। कभू शोर गा भारी भरकम, नइ ये कान सहे। हमर कान ला जतक सुहाथे, ओतक शोर रहे।। *श्लेष चन्द्राकर* *आज के अभ्यास- विष्णुपद छंद* *विषय- महतारी भाखा* महतारी भाखा ला संगी, दव सनमान बने। लिखव गीत कविता येमा गा, सुग्घर भाव सने।। कोनो कांही समझे संगी, झन परवाह करो। महतारी भाखा मा बोलव, झन गा चिटिक डरो।। हो विकास छत्तीसगढ़ी के, मन मा सोच रहे। कभू उपेक्षा के पीरा झन, भाखा नीक सहे।। *श्लेष चन्द्राकर* *विषय- महाशिवरात्रि* परब महाशिवराती के दिन, बिगड़े काम बने। चारो कोती महा परब ये, सुग्घर घात मने।। भोलेबाबा के महिमा ले, ये संसार चले। मंत्र महामृत्युंजय जप लव, संकट काल टले।। महाकाल के भक्ततन मन बर, दिन ये खास हरे। नाम जपे ले सच्चा मन ले, शिव डर दूर करे।। बने महाशिवरात्री के दिन, पुन असनान करो। बेल पान अउ दूध चढ़ा के, श