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Showing posts from January, 2020

शंकर छंद (छत्तीसगढ़ी)

*विषय- गणतंत्र दिवस* (१) भारत के गणतंत्र दिवस हा, हरे बड़े तिहार। भारत माँ के कोरी-कोरी, करव जय-जयकार।। संविधान हा लागू होइस, इही दिन ले जान। अलग बनिस हे जग मा तब ले, देश के पहिचान।। (२) सन पचास मा बनिस हवय गा, देश हा गणतंत्र। जुरमिल सब ला अब रहना हे, मिलिस हावय मंत्र।। लोकतंत्र मा खास बनिस हे, सबो मनखे आम। तभे सुचारू रुप मा संगी, होत हे हर काम।। (३) स्वतंत्रता सेनानी मन ला, करव सुरता आज। जिनकर अब्बड़ मिहनत ले गा, मिले हवय स्वराज।। गांधी नेहरु वल्लभभाई, तिलक अउ टैगोर। स्वतंत्रता बर आंदोलन कर, नवा लानिस भोर।। (४) वीर भगत सिंह अशफाकुल्ला, राजगुरु आजाद। बिस्मिल अउ सुखदेव घलो ला, करव सबझन याद।। अमर क्रांतिकारी मन होगे, देश बर कुर्बान। अपन लहू ले सींच बनाइन, नवा हिन्दुस्तान। *श्लेष चन्द्राकर* *विषय - मोबाइल टॉवर* (१) मोबाइल के टॉवर सेती, सबो हे हलकान। येकर विकिरण अलकरहा हे, करत बड़ नुकसान।। जघा-जघा मा आज इखँर गा, बिछे हावय जाल। चिरई चुरगुन अउ मनखे के, बनत हे ये काल।। (२) टॉवर के सेती होवत हे, ब्रेन ट्यूमर रोग। घातक केंसर के पीरा ला, सहत हावय लोग।। होत दिमागी बी

छत्तीसगढ़ी रचनाएं- श्लेष चन्द्राकर

दोहा छंद - श्लेष चन्द्राकर विषय - नवा बछर नवा बछर आये हवय, बाँटे बर उल्लास। सुग्घर बूताकाम कर, चलव बनाबो खास।। भूलव जुन्ना गोठ गा, राखव नवा बिचार। मिहनत करके दव अपन, सपना ला आकार।। अपन सफलता बर करव, मिहनत गा भरपूर। चलहू जी जब ठान के, रइपुर नइ हे दूर।। नवा-नवा संकल्प लौ, नवा हरे गा साल। अपन बना सकथव तभे, जिनगी ला खुशहाल।। नवा बछर ये बीस गा, सब बर रहय विशेष। अंतस ले शुभकामना, देवत हावय श्लेष।। छंदकार - श्लेष चन्द्राकर, पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुन्द (छत्तीसगढ़) चौपाई छंद - श्लेष चन्द्राकर विषय - गुरु घासीदास जयंती संत शिरोमणि घासी बाबा। कहय एक हे कांशी-काबा।। जात-पात ला ओ नइ जानय। एक सबो मनखे ला मानय।। गुरु बाबा के हरय जनम दिन, सुरता रखहूँ येला सबझिन।। बगराना हे पबरित बानी। सुना सबो ला उँखर कहानी।। बानी मा मँदरस घोलय गा। संत बबा सुग्घर बोलय गा।। सदा नीक ओ गोठ किहिस हे। सत के पहरादार रिहिस हे।। सच्चा सेवक ओ ईश्वर के। रिहिस विरोधी आडंबर के।। इहाँ पंथ सतनाम चलाइन। मानवता के पाठ पढ़ाइन।। भेदभाव सब छोड़व बोलिन। मनखे मन के आँखी खोलिन। छुआछूत ला रोग