दीवाली के दोहे

प्रेम दीप घर-घर जले, सुखी रहें सब लोग।
माँ लक्ष्मी वरदान दो, दूर हटे दुर्योग।।

अंतर मन का तम मिटा, पर्व मनाएं आज।
गाँव नगर में हर कही, हो दीपों का राज।।

धनवन्तरि आरोग्य के, कहलाते है देव।
कृपा दृष्टि हमपर सदा, रखते प्रभो सदैव।।

रखता खास महत्व है, दीपों का त्यौहार।
तिमिर हरण करता सखे, फैलाता उजियार।।

विनती करते आपसे, धनवंतरि महराज।
जन के रोग विकार सब, दूर कीजिए आज।।

माटी का दीपक बना, विक्रय कर कुम्हार।
निज घर का तम दूर कर, लाता है उजियार।।

दीपक प्रहरी बन करें, तम से रक्षा मित्र।
आ दूजे के काम तू, निर्मल बना चरित्र।।

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