महाशिवरात्रि पर छत्तीसगढ़ी दोहे

आज महाशिवरात्रि हे, भक्ति भाव के रात।
शिव ला पानी ले नहा, चढ़ा बेल के पात।१।

परब महाशिवरात्रि के, मनखे बर हे खास।
कैलाशी शंकर बबा, करथे मन मा वास।२।

नंदी बइला मा चघे, शिव घूमें संसार।
मृत्युंजय भगवान के, महिमा हवय अपार।३।

धरती मा जब बड़ जथे, पापी मनके पाप।
तीसर आँखी खोलके, भोले देथे श्राप।४।

बाबा तांडव नाच के, गुस्सा करथे शांत।
होथे ओकर रूप ले, राक्षस मन भयक्रांत।५।

डम डम डम डमरू बजा, करथे सुग्घर नाच।
भोले बाबा साथ मा, रहिथे भूत-पिशाच।६।

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