छप्पय छंद - श्लेष चन्द्राकर
🌺 छप्पय छंद 🌺
रुप चौदस का पर्व, मनाएंगे सब घर-घर।
पितरों को जलदान, करेंगे लोग नमन कर।।
नरकासुर का अंत, कृष्ण ने आज किया था।
खुशियों का उपहार, सभी को आज दिया था।।
छोटी दीवाली मने, सबके घर में शान से।
जग में सबका हो भला, विनती है भगवान से।।
🌺 श्लेष चन्द्राकर 🌺
★ छप्पय छंद ★
देता स्वच्छ प्रकाश, दीप तम को हरता है।
जलकर सबके हेतु, काज अनुपम करता है।।
अनुष्ठान या जाप, दीप के बिना अधूरा।
करते पूजा पाठ, जलाकर इसको पूरा।।
मानव जीवन के लिए, दीप बहुत ही खास है।
अंधकार को दूर कर, लाता यहाँ उजास है।
श्लेष चन्द्राकर,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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