छन्न पकैया छंद (छत्तीसगढ़ी) - श्लेष चन्द्राकर

छन्न पकैया छंद

विषय - श्री गणेश
छन्न पकैया छन्न पकैया, रिद्धि-सिद्धि के स्वामी।
गोठ हमर मन के जानत हस, तँय हच अंतर्यामी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, आके दर्शन देवव।
श्री गणेश जी मनखे मन के, दुख पीरा हर लेवव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दीन दुखी ला तारव।
सहि के मुसकुल जीयत हावयँ, हालत उखँर सुधारव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, अपन गोठ मा अड़थें।
हे लम्बोदर भुँइया मा सब, मनखे मन हा लड़थें।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, लोगन ला समझावव।
गणपति देवा भटके मन ला, रद्दा बने दिखावव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जलवा अपन दिखावव।
आतंकी मन इतरावत अब्बड़, आके मजा चखावव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, बाढ़त हे कोरोना।
ये बिख ले हे जग के स्वामी, रिता करव हर कोना।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, गौरी पूत गणेशा।
हाथ जोड़ के बिनती हे ये, दे बे साथ हमेशा।।

शीर्षक- भारत माता

छन्न पकैया छन्न पकैया, जय हो भारत माता।
माँ अउ लइका के जइसे हे, तोर हमर ओ नाता।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, तोला रोज सुमरथँन।
पालत पोसत ते हच सब ला, तोरे पूजा करथँन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, तोर आन बर अड़बो।
आँच चिटिक नइ आवन देवन, बैरी मन ले लड़बो।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सुग्घर बूता करबो।
दुख चिटको नइ देवन माता, तोर पीर सब हरबो।।

शीर्षक - किसन कन्हैया
छन्न पकैया छन्न पकैया, किसना हे बड़ नटखट।
चोराके घर-घर ले माखन, भाग जथे ओ झटपट।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सबला अबड़ सताथे।
अउ सिधवा कस माता जी के, अँचरा मा छिप जाथे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, तरिया कोती जाके।
तंगाथे बड़ गोपी मन ला, कपड़ा उखँर लुकाके।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखथे बिरबिट काला।
फेर बड़े दिलवाला हावय, नंद यशोदा लाला।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, बंशी नीक बजइया।
वृन्दाबन में गोपी मन सन, किसना रास रचइया।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, किसना सब ला प्यारा।
नंद यशोदा दुन्नो झन के, बेटा हरय दुलारा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मोहन मुरली वाला।
गौ माँ मन के जतन करइया, जाके ओ गौशाला।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कतको राक्षस मारिस।
जल मा बिख बगराने वाला, शेषनाँग ला नाथिस।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, गोवर्धन गिरधारी।
सबके रक्षा करने वाला, भगवन कृष्ण मुरारी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, लोगन मन ला तारिस।
जग के पालनहार किसन हा, कंस ममा ला मारिस।

शीर्षक - कोरोना
छन्न पकैया छन्न पकैया, हित मा घर मा रहना।
कोरोना ले बाँचे बर जी, मानव सबके कहना।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, बिरथा झन गा किंजरव।
अज्ञानी कस काम करव झन, चिटिक गोठ ला समझव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मुँह मा मास्क लगावव।
जब मिलथव मनखे मन सन, दुरिहा ले बतियावव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, राज कतक दिन चलही।
कोरोना हा घलो हारही, दुख के संझा ढलही।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, हारव गा झन हिम्मत।
खीक वायरस ले हम सब ला, जल्दी मिलही राहत।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कोरोना ले बाँचव।
इखँर वायरस बगरत अब्बड, अपन ध्यान गा राखव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, काबर बगरत जानव।
कान पकड़ लौ अइसन गलती, फेर करन नइ ठानव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, येला नहीं बलावव।
खीक वायरस कोरोना ले, खुद के प्रान बचावव।।

शीर्षक - राम मंदिर

छन्न पकैया छन्न पकैया, बनही मंदिर प्यारा।
तीर्थ अयोध्या मा बोहाही, राम भक्ति के धारा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, भुँइया पूजा होगिस।
बने राम मंदिर अब बनही, संतन मन सब बोलिस।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, बिराजही रघुनंदन।
रोज माथ मा प्रभु के सजही, अक्षत रोली बंदन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, अवधपुरी मनभावन।
जिहाँ राम जी हा जनमिन हे, ओ भुँइहा हे पावन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सपना होवत पूरा।
राम जनम भुँइया मंदिर बिन, लागय अबड़ अघूरा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, खुश हें सब लोगन मन।
मंदिर बर सहयोग करत हें, लगा सबो तन-मन-धन।।

शीर्षक- पंद्रह अगस्त

छन्न पकैया छन्न पकैया, पंद्रह अगस्त आगे।
आजादी के दिन ये पबरित, नीक सबो ला लागे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, बड़े परब ये सब ले।
हमर देश ला आजादी गा, मिले रहिस हे तब ले।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, लोग सबो जुरियावव।
जोर-जोर ले भारत माँ के, नारा आज लगावव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, धजा सलामी देवव।
याद शहीदन मन ला कर लौ, नाँव उखँर गा लेवव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ये भुँइया हे दाई।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हरव सबोझन भाई।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, हवव एक दिखलावव।
भारत के राष्ट्रीय परब ला, जुरमिल सबो मनावव।।

विषय- रक्षाबंधन

छन्न पकैया छन्न पकैया, चल राखी बँधवाबो।
अपन-अपन परिवार साथ गा, सुग्घर परब मनाबो।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दीया एक जलाके।
बहिनी मन तैयार हवय सब, पूजा थाल सजाके।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, माथ लगाके चंदन।
भाई मन के आज ग करही, बहिनी मन अभिनंदन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, चल गा किरिया खाबो।
सूत बँधइया बहिनी मन के, काम सदा हम आबो।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, रहिबो तत्पर हरदम।
बहिनी मन के रक्षा करबो, दुख पीरा करबो कम।।

विषय- सादगी
छन्न पकैया छन्न पकैया, सुग्घर कपड़ा खादी।
इही पहिर के महापुरुष मन, देवाइन आजादी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, पहिरव सादा कपड़ा।
फैशन के चक्कर मा आके, पालव झन गा लफड़ा।

छन्न पकैया छन्न पकैया, झन गा करव दिखावा।
जेन सुहावय बड़खा मन ला, अइसे हो पहनावा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, साँवर घला बनावव।
देवदास कस दशा बनाके, जग ला नहीं दिखावव।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, हरय सादगी गहना।
बाढ़ जथे सिंगार के शोभा, ज्ञानी मन के कहना।।

विषय- फैशन
छन्न पकैया छन्न पकैया, फैशन बनिस बिमारी।
येकर पाछू पगला गे हे, अब जम्मो नर-नारी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, टूरा मन अतलँगहा।
इतरावत रहिथे गा अब्बड़, पेंट पहिर के टँगहा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, पहिरे चिरहा पागी।
ये बेशर्मी देख जिया मा, लगथे संगी आगी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जादा अकल लगाथे।
अलकरहा बानी कटवाके, चूँदी ला रँगवाथे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखय नहीं सादापन।
तड़क-भड़क के पाछू भागत, आज इँहा मनखेमन।।

विषय - नेता
छन्न पकैया छन्न पकैया, नेता होथे लबरा।
अपन गोठ मा फँसा-फँसा के, अब्बड़ ठगथे ठगरा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, फोकट पाथे वेतन।
बने करय नइ काम-काज अउ, अबड़ झाड़थे भाषन।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ओ दल बदलू होथे।
सत्ता के लालच मा पड़के, अपने इज्जत खोथे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, नहीं भरोसा लायक।
नेता अब्बड़ धोखा देथे, होथे बड़ दुखदायक।।

विषय-बादर
छन्न पकैया छन्न पकैया, बरसत नइ हे पानी।
अबड़ दुखी हे सब किसान मन, पिछड़त हवय किसानी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, उमस बाढ़ के हावय।
चूहत तन ले अबड़ पछीना, कुछु नइ काम सुहावय।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, धोखा देवत बादर।
प्यास बुताये बर भुँइया के, बरसत नइ हे काबर।।

विषय- गाँव बदल गे

छन्न पकैया छन्न पकैया, गाँव बदल गे भइया।
दिखय नहीं चौपाल लगाके, मनखे गोठ करइया।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कटत हवय रुखराई।
छाँव मिलय नइ बर पीपर के, कम होगे अमराई।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, भुँइया होवत रेती।
ताल तलैया नदी पटागे, बने होय नइ खेती।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कोन रही अब चंगा।
आज गाँव मा नइ बोहावय दूध-दही के गंगा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखथे खीक नजारा।
नशापान कर मनखे लड़थे, नइये भाईचारा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, गाँव ल अपन बचावव।
चलव राह मा पुरखा मनके, पहिली कस दिन लावव।।

विषय- सावन
छन्न पकैया छन्न पकैया, छागे हे हरियाली।
सावन मा रुखराई मन के, झूलत हावय डाली।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सुग्घर हे दिन बादर।
घाँस-दूब के भुँइयाँ मा जी, बिछगे हावय चादर।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, दउँड़त नँदिया नाला।
मिलत हवय देखे बर झरना, मौसम लगत निराला।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, डोली मा जल भरगे।
खेत बोवईया सब किसान के, जिनगी हा जी तरगे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ठोंकव गा सब ताली।
सावन के बरसा जिनगी मा, लाने हे खुशियाली।।

विषय- सावन
छन्न पकैया छन्न पकैया, गिरथे जब जब पानी।
सावन मा घर-घर के भइया, चुहथे खपरा छानी।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, चलना मुसकुल भाई।
जघा-जघा पानी के सेती, रहिथे चिखला काई।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, भरथे डबरा खचवा।
टर्र-टर्र मेंढ़क चिल्लाथे, तउँरत दिखथे कछवा।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, करिया बादर छाथे।
दार गलय नइ येकर आघू, सूरज घला लुकाथे।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, रथे गंदगी भारी।
बचके रइहू सावन मा जी, धरथे अबड़ बिमारी।।

श्लेष चन्द्राकर,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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