चकोर सवैया (छत्तीसगढ़ी) - श्लेष चन्द्राकर
चकोर सवैया
विषय- किसान के समस्या*(१)
आज किसान उठावत हावय घात इहाँ भइया नुकसान।
मौसम हा करथे छल गा अउ कीट तको करथे हलकान।
बेबस हो कइसे अब लागत ले कम मा उन बेचत धान।
मौन हवै सब लोगन हा नइ देवत ओकर ऊपर ध्यान।
(२)
जानव गा श्रम साधक नेक किसान हरे नइ होय गुलाम।
धान बने उपजावत हे गरमी बरसा जुड़ मा कर काम।
ओकर गा श्रम ले उपजे अन के सब देवय सुग्घर दाम।
लागत ओकर गा निकले अउ इज्जत ले सब लेवय नाम।
(३)
देखव गा गहना घर ला गिरवी रख बोवत हावय धान।
कर्ज तले दबके कइसे बड़ रोवत हावय आज किसान।
आज इहाँ उन होगिस हावय देखव जीवन ले हलकान।
ओकर जीवन मा सुख के अब सुग्घर योग लिखौ भगवान।
(४)
मौसम के परिवर्तन कारण हानि उठावत घात किसान।
अब्बड़ होय कभू बरसा अउ होय कभू कम ले हलकान।
तेज हवा चलथे जब गा तब खेतन मा सुत जावत धान।
निष्ठुर मौसम कारण चैन कभू नइ गा उन पावत जान।
विषय - विविध
(१)
खेलत खावत जीवन बीतय राहय मानव ले दुख दूर।
मानव ला अब मानव ले बस प्रेम मिले जग मा भरपूर।
होय नहीं अब मानव हा तकलीफ सहे बर गा मजबूर।
जेमन झेलत कष्ट इहाँ उन के सब देवव साथ जरूर।
(२)
दोष गिनाथस काबर दूसर के गलती खुद के तँय जान।
लोगन का करथे तँय ओकर गा चुगली करना नइ ठान।
संत बने सत गा कहिथे तँय ओकर बात सबो अब मान।
काम बने करके जग मा तँय नेक बना खुद के पहिचान।
(३)
ध्वनि प्रदूषण ला अब रोकव लानत हावय ये बड़ रोग।
येकर कारण होवत गा बहरा अउ पागल अब्बड़ लोग।
दोपहिया अउ मोटर कार करौ कम ले कम गा उपयोग।
शांत रहे परिवेश इहाँ अइसे अब होवन देव सँजोग।
(४)
पालक चेंच हरा धनिया बटुरा मुरई अउ गाजर खाव।
घात मिठावत साग सबो जुड़ मा बढ़िया सब रोज पकाव।
खावव-पीयव मौसम के अनुसार सदा तन स्वस्थ बनाव।
लेव मजा बढ़िया जुड़ के भइया सुख के दिन-रात बिताव।
श्लेष चन्द्राकर,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन - 493445,
मो.नं. 9926744445
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