मंदारमाला सवैया (छत्तीसगढ़ी)- श्लेष चन्द्राकर

 मंदारमाला सवैया

(1)
माहौल संसार के नीक होही तभे लोग जम्मो रहू प्यार ले।
हाँसी-खुशी गा मनाओ बने प्यार हा बाढ़थे तीज त्यौहार ले।
बाँटों सदा प्यार संसार मा लोग जावै न जुच्छा कभू द्वार ले।
जम्मो झने काम ऐसे करौ गा इहाँ स्वप्न ये नीक साकार ले।
(2)
इंसान हा खीक धंधा सबो छोड़ के अच्छा करै कर्म संसार मा।
जीये सदा दुश्मनी ला भुलाके बने शक्ति होथे बड़ा प्यार मा।
रोये नहीं नेक इंसान हा हार ले खोज लेथे खुशी हार‌ मा।
संसार के ये नदी मा नहीं जेन तौंरे बहा ओ जथे धार मा।
(3)
पैरा जलाबे नहीं खेत कोठार मा घूँगिया हा उड़ाथे कका।
ये धूँगिया जानलेवा बड़ा कर्क टीबी दमा रोग लाथे कका।
पैरा बचाना सही हे इहाँ गाय भैंसी बने रोज खाथे कका।
ओ धान पाथे बने जे इहाँ खाद पैरौंवसी के बनाथे कका।
(4)
जे बीत गे हे भुलाके बढ़ौ गा करौ काम अच्छा नवा साल मा।
संकल्प लेके चलौ लक्ष्य पाहू सदा याद राखौ सबो हाल मा।
होही सबो आपके स्वप्न पूरा बढ़ौ रोज आघू सधे चाल मा।
गाओ खुशी के बने गीत गा और नाचो नवा साल हे ताल मा।
(5)
जेहा सताथे इहाँ नेक माँ-बाप ला दंड ला झेलथे पाप के।
दोनों झने के तिरस्कार ले हो जहू आप भागी इहाँ श्राप के।
हे जन्म गा देवईया हरे आप सेवा करौ रोज माँ-बाप के।
सम्मान देके जरा देखहू हो जही जिंदगी धन्य गा आपके।
(6)
जे गर्व ला छोड़ पाये नहीं ओ इहाँ स्वाद ला चीखथे हार के।
जीना इहाँ सीख तैं जिंदगी स्वार्थ ला छोड़ के लोभ ला मार‌ के।
इंसान होके बने तैं दिखा और गा काम आ लोग दू-चार के।
तैं बैर के भाव ला छोड़ के आज ले रेंग गा राह मा प्यार के।
(7)
श्रीराम के नाव के जाप ले होत हे कष्ट गा दूर इंसान के।
आओ बने लेव आनंद ला देवता भक्ति के गा रसा पान के।
डूबे रहौ भक्ति मा भाव से नाव गा पार होही फँसे मान के।
आदर्श मा रामजी के सदा जिंदगी मा चलिंगे रहौ ठान के।
(8)
जे संत ज्ञानी सबो बोलथे बात ओ सौ टका मीत होथे सही।
तै साथ ले के सबो लोग ला रेंगबे ज़िन्दगी हा बने हो जही।
इंसान इंसान के काम आही तभे प्रेम विश्वास जिंदा रही।
ईमानदारी दिखा फर्ज ला ते निभा तोर गा काम हा बोलही।

~ श्लेष चन्द्राकर,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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